क्या तुम मेरी आवाज़ सुन सकते हो?
मनमानी से भी बात न बनी,
तो खींच कर अपनी आवाज़ को सुना दूँगी सबको।
जैसे किसी बादल ने बरसने की ठान ली हो
और हिचकिचाती नहीं।
एक अकेले कमरे की चार दीवारों के भीतर क़ैद,
कुछ पंखों को समेटकर,
क्या तुमने सोचा है कभी आसमाँ को चीर कर पार जाना?
शायद इसी को पागल कह कर,
उस चीख से भाग कर,
यह नहीं पुछा कि किस को पुकार रही थी वो आवाज़।
उस ज़िद्दी आवाज़ का क्या कहना
जो दीवारों से छलाँग मार कर,
हवा की गोद में उड़ जाए,
और खो जाए।
अस आवाज़ का कुछ कहना ही नहीं।
बस इस क़लम की सियाही से
दबा दो उसे किसी पन्ने के बीच।
आवाज़ों की आज़ादी से आपको ख़तरा हो सकता है।
Garajna is pulling, use hichkichata. 🙂
I always thought garajna was used for thunder and bijli for lightning. Chalo, now I know. Thanks!