कब सोचा था कि कोई आएगा
बचपन में कहते थे कि गुडियों का खेल है यह
आज कोई मिले तो, दिल फेक लो तो
कहते है कि पागल है हम।
आज पूछा तो कहा कि दिल जोड़ो,
पर सोचो दिमाग से।
दिमाग ने सर पर ले रखा है
दुनिया का बोझ
उसे क्या ख़बर कि दिल ने रखी है आस।
खिड़की तले रुकना छोड़ दिया हमने,
कोई दरवाज़ा खटखटाए तो बात बन जाएगी।
Really nice.
🙂
Keep up the good work Sonia. Looking forward to seeing more.
Thanks Dada 🙂