उड़ के दिखाऊँ तो कैसे,
आज पंख नहीं है मेरे।
ख़ुशी की सर्हद होती तो कर लेती आज पार,
आज बहुत दिनों बाद मुस्कुराने की उठाई है तकलीफ़।
पैरों के थिरकने के लिए कोई घुंघरू ला दें,
आज बिन बोले गाने का मन्न किया है।
बर्खा से कह दो कि बरस जाए,
भीगने का मन्न किया है।
आज याद को भूल कर
कहीं चली जाऊंगी सब उठा कर
उछल के उड़ना सीख लूँ,
तो पता बता दूँगी।
तुमसे दूर रहना हो तो पंखों का क्या काम।
Watch “Guide (1965): Kaanton Se Kheench Ke Ye Aanchan” on YouTube – Guide (1965): Kaanton Se Kheench Ke Ye Aanchan: http://youtu.be/snzXElOPoow
That’s what I was thinking of when I wrote it.
Mumma this is too Good!!!
Thank you so much 🙂